जीता हूँ जीत जाने के लिए
एक बात को बताने , एक राज़ को छुपाने
एक जिंदगी बिताने के लिए
जीता हूँ जीत जाने के लिए।
१.
तेरा लिया सहारा
बन करके बेसहारा
एक फूल खिजाओं का
फिरता है मारा - मारा
अफ़सोस को जताने , मजबूरियाँ मिटाने
उमीदों को जगाने के लिए
जीता हूँ जीत जाने के लिए।
२.
अंधी हुई चिता से
दो बूँद आंसुओं के
रक्खें हैं तुरुप के पत्ते
तहरीर के जुए से
हिम्मत को आजमाने , पागल के ही बहाने
उस्तादगी मिटाने के लिए
जीता हूँ जीत जाने के लिए।
३.
आकाश की तलहटी में
चाँद के किनारे
सूरज के रक्खे चेहरे
अहसास के सहारे
सपनो को फिर बुलाने , तारों को जगमगाने
एक आसमाँ बसाने के लिए
जीता हूँ जीत जाने के लिए।
विनय विनम्र