kucch dhuaan dhuaan hua / कुछ धुंआ - धुंआ हुआ

 कुछ धुंआ - धुंआ  हुआ 


कुछ धुंआ - धुंआ हुआ , कुछ हुई आवारगी ,

दोपहर की धुप आयी ,कट  गयी यूं जिंदगी 

बीच में था मै  अभी और दूर था साहिल ,

खत के दो टुकड़ों में मेरा दिल। 

१. 

झांकती तस्वीर कोई 

दी हुई तेरी निशानी 

रौशनी के सख्त पहरे 

जल के अंदर की कहानी 

डूबकर फिर पास आना और वो जलना तेरा तिल - तिल 

खत के दो टुकड़ों में मेरा दिल। 

२. 

रंग तेरा अब तलक  है 

दोष लेना काम मेरा 

आसमा नीला अभी है 

चल रहा चिड़ियों का फेरा 

वो नहाना बाग़ में और कहना फूलों से ' ज़रा सा खिल ' 

खत के दो टुकड़ों में मेरा दिल। 

३. 


शब्द की कोमल टहनियाँ ,

यूं तेरा खुलकर बिखरना ,

जिंदगी की चंद घड़ियाँ ,

कुछ  सलीके से सवरना 

आखिरी कोशिश मेरी और दूर तक फ़ैली हुई मुश्किल 

खत के दो टुकड़ों में मेरा दिल। 

..... विनय विनम्र 

VIKALP FOUNDATION TRUST

VIKALP FOUNDATION TRUST is a social welfare organization committed to reform, organize and help to poor, orphans, low living slandered people in India.

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