Poison Nut ( strychnos nuxvomica ) / कुचला

                                           कुचला / मकर तेंदुआ / कजरा 
             Scientific Name : Strychnos  nuxvomica 

विवरण :


कुचला का पेड़  मध्यम आकार के  होते हैं तथा ये मुख्यतः वनो में पाए जाते हैं। कुचला के पत्ते पान के सामान तथा  फल गोल -गोल  नारंगी रंग के ो सुन्दर होते हैं।  इन्ही फलों  के अंदर बीज होते हैं , इनके बीजों को ही कुचला या कजरा कहा जाता है। कुचला को जहर भी कहा जाता है। यह एक पर्णपाती वृक्ष है तथा भारत एवं दक्षिण एसिआ में पाया जाता है। इसकी पत्तियां  ५-१० मिली मीटर लम्बी होतीं हैं। 

गुण :

कुचला  स्वभाव से  शीतल , कड़वा, बातकारक व नशा करने वाला होता है। यह हल्का होता है एवं पैर की पीड़ा को ठीक करता है। कुचला ग्राही होता है तथा कफ , पित्त  एवं रुधिर विकार का नाश करता है।  इसका उपयोग जोड़ ,पीठ और कमर के दर्द तथा गठिया रोग को ठीक करने में किया जाता है। 

                                                                                    अन्य मुख्य उपयोग :

  • इसकी जड़ के छाल, फल, पत्ते, लकड़ी और बीज औषधीय रूप से उपयोग किए जाते हैं।
  • इसके फलों का उपयोग ल्यूकोडर्मा, 'वात' और 'कफा' रोगों, रक्त के रोगों, खून की कमी, बवासीर, पीलिया और मूत्राशय की जलन को ठीक करने के लिए किया जाता है।
  • यूनानी प्रणाली में, इनका उपयोग जोड़ों, लम्बेगो (पीठ और कमर मे तनाव और गठिया का दर्द), पाइल्स और लकवा के दर्द और कमजोरी को ठीक करने के लिए किया जाता है।
  • इसकी जड़ की छाल और चूने के रस से बनाई गई गोलियां हैजा में प्रभावकारी होती हैं ।
  • इसकी पत्तियों का पेस्ट अल्सर और कीड़ों से भरे घावों पर लगाया जाता है।
  • इसकी लकड़ी का उपयोग अपच संबंधी कष्ट के निवारण में किया जाता है।
  • इसके बीजों का उपयोग हैजा, मधुमेह, भावनात्मक विकार, हिस्टीरिया, मिर्गी, आंतरायिक बुखार, गठिया,हाइड्रोफोबिया, नपुंसकता, अनिद्रा, लकवाग्रस्त और तंत्रिका संबंधी आघात और पेशाब संबंधी विकार के इलाज के लिए किया जाता है।
  • कुचला को एक विषहर औषधि के रूप में  शराब और अफीम की विषाक्तता के खिलाफ उपयोग किया जाता है।
  • इसकी ताजी लकड़ी को गर्म करने से प्राप्त रस के कुछ बूंदों को हैजा और पेचिश में दिया जाता है।
  • इसकी छाल को नींबू के रस में भिगोकर गोलियां बनाते हैं जिसे दस्त में लिया जाता है।
  • शहद और चूने के पानी के साथ सूखे बीजों का काढ़ा आंतों के कीड़े के घरेलू उपाय के रूप में लिया जाता है।
  • सामान्य नमक और पानी के साथ बीज पाउडर का उपयोग हैजा में किया जाता है।
  • नीम के साथ इसकी छाल को पेचिश के लिए लिया जाता है।
  • इसके सूखे बीज के पाउडर का काढ़ा गंजापन में उपयोग किया जाता है।
  • इसके बीज से तैयार गोलियां रक्तचाप के इलाज के लिए एक सप्ताह तक रात के खाने के बाद रोज ली जाती है।
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English Translation :
                                                                          Poison Nut
                    Scientific Name : Strychnos  nuxvomica 

An Account:


The Poison nut trees are medium sized and are mainly found in jungle. The Poison nut leaves are like betel nut and the fruits are round orange in colour.  These fruits contain seeds, their seeds are called Kuchalaa or kajara. Poison nut is also known as poison. It is a deciduous tree and is found in India and South Asia. Its leaves are 5-10 mm long. 

Quality: 
Poison nut trees by Nature is cold, bitter, talcative and additive. It is light and heels leg pain. Poison nut trees is a receptor and destroyed flame, bile and blood disorsertors. It is used to cure joints, back and back pain and arthritis.

                                                                                    Other Main Uses:

  •         Its root bark, fruits, leaves, wood and seeds are used medicinally.
  •         Its fruits are used to cure leukoderma, vata and 'kafa' diseases, blood diseases, anemia,                                 hemorrhoids, jaundice and bladder irritation.
  •         In the Greek system, they are used to cure joints, lambago (back and back stress and                      arthritis pain), piles and paralysis pain and weakness.
  •         The bark of its root and the tablets made from lime juice are effective in cholera.
  •         Its leaf paste is applied to ulcers and insect-filled wounds.
  •         Its wood is used to prevent indigestion.
  •         Its seeds are used to treat cholera, diabetes, emotional disorders, hysteria, epilepsy,                        intermittent fever, arthritis, hydrophobia, impotence, insomnia, paralysis and neurological              trauma and urinary disorders.
  • Crushed is used as a toxic drug against the poisoning of alcohol and opium.
  • A few drops of juice obtained from heating its fresh wood are given in cholera and dysentery.
  • Its bark is soaked in lemon juice to make tablets which are taken in diarrhea.
  • Dry seed brew with honey and lime water is taken as a home remedy for intestinal worms.
  • Seed powder with normal salt and water is used in cholera.
  • Its bark with neem is taken for dysentery.
  • Its dried seed powder brew is used in baldness.
  • Tablets prepared from its seeds are taken daily after dinner for a week to treat blood pressure.

Source :


  • Anil Kumar Dhiman (2006), Ayurvedic drug plants, Daya Publishing House, Delhi
  • https://en.wikipedia.org/wiki/Strychnos_nux-vomica
  • https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Strychnos_nux-vomica_L..jpg
  • https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Strychnos_nux-vomica_flowers_01.JPG
  • https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Strychnos_nux-vomica,_Nux_Vomica,_Poison_Nut,_kanjiram_3.jpg
  • Bhaav Prakash


VIKALP FOUNDATION TRUST

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