Tab maati chandan banati hai / तब माटी चन्दन बनती है


कर्मों की पूजा सामग्री , जीवन के थाली  सजते ,

लोक धुनों के मधुर तराने ,अल्हड़ हो कानो  बजते ,

मन की कोई टीस पुरानी बाहर जब क्रंदन करती है ,

तब माटी चन्दन बनती है। 

१. 

क्षितिज पास में आ जाता है ,मन को कोई भा जाता है ,

स्वप्न सुनहरे हो जाते हैं , ह्रदय स्वयं को समझाता है 

याद किसी मनुहार  लेकर ,वर्तमान के संग पलती है 

तब माटी चन्दन बनती है।

२. 

सुख - दुःख के रिश्तेदारी में , एक समय ऐसा आता है ,

सुख ,दुःख का औ दुःख ,सुख का तब , मानक पूरक  जाता है

ऐसा ही कुछ जाने पर ,दुनिया जब वंदन करती है ,

तब माटी चन्दन बनती है।

३. 

श्वेद बूँद हीं सींचा करते ,हरियाली की नीव निरंतर ,

कुंठा ग्रसित युद्ध धरती ,हो जाती है शांत परस्पर 

अन्तर्मन की रूढ़ि ग्रंथि जब स्वयं का अभिनन्दन करती है ,

तब माटी चन्दन बनती है।

.... विनय विनम्र  

VIKALP FOUNDATION TRUST

VIKALP FOUNDATION TRUST is a social welfare organization committed to reform, organize and help to poor, orphans, low living slandered people in India.

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